Thursday, May 27, 2010
लव-इन या लिव-इन..!!
लव-इन या लिव-इन का मुद्दा यूँ तो अब बहुत पुराना सा लगता है। जब से भारत मे लिव-इन रिलेसन सिप को मान्यता मिल गई है, तब से इस विषय मे लगातार चर्चा हो रही है।तरह तरह के मतभेद ,चर्चा,निर्णय सामने आ रहे है।लेकिन हाल ही मे इस मुद्दे के सुसंगत एक घटना मेरी जिन्दगी मे घटी । जिसने मुझे झगझोड कर रख दिया,या युं कहे की ये लिखने पर मजबूर कर दिया।
मैं पहले वो घटना बताना चाहता हूँ| फिर आप लोग बताईयेगा की क्या सही क्या गलत।मै फैसला आप पर छोडता हुं।
मेरे साथ एक खूबशूरत लड़का राहुल (नाम बदल दिया है) और उस से भी खुबसूरत लड़की नेहा (नाम बदल दिया है) पढ़ते थे । दोनों को मैं लगभग ७ से भी अधिक सालो से जानता था। उन को जब भी मिलता दिल खुश हो जाता ।उन दोनों को देख मैं हमेशा भगवान से प्राथना करता रहता की “हे भगवान इन दोनों की जोड़ी सलामत रखना,और ये हमेशा ऐसे ही हस्ते मुस्कराते रहे”। पढते- पढ़ते कोलेज काल समाप्त हो गया और ये दोनों आगे पढने के लिये पुणे ( स्थल बदल दिया है)चले गए।कई दिनों तक राहुल के फ़ोन आते रहे उन दोनों से लगातार बाते होती रही, दोनों साथ रहकर बहोत खुश थे। पढ़ते थे और साथ में जॉब भी करते थे । लेकिन फिर जैसे फिल्मो मैं कहानी मोड़ लेती है वैसे ही इन के जीवन मैं कुछ साल पहले कहानी ने करवट ली। दोनों ने अपने अपने घर मे शादी करने की बात कही ( दोनों एक दुसरे को अच्छी तरह जान चुके थे और एक दुसरे पर पूरा भरोशा भी था।दोनों बहोत अच्छे दोस्त भी थे,और इससे ज्यादा क्या चाहिये शादी के लिये? मुझे तो यहि मापद्डं लगता है।)
जैसे फिल्मो मैं होता है वैसे ही इन दोनों के माँ बाप ने भी रिश्तो से इन्कार कर दिया। क्यूँकी नेहा के परिवारवाले एक बहोत बड़े उद्योग घराने से थे और एक ऊँची जाती के भी थे। राहूल के घरवाले भी अच्छा खासा रसूख रखते थे पर वो एक निचली जाती के थे लिहाजा राहुल और नेहा के लगातार एक वर्षो के प्रयास के बाद भी उन दोनों की शादी की बात न बन सकी।फिर उन्हों ने भी प्रय्तन करना ही छोड़ दिया और पुणे मे साथ-साथ रहने लगे। पढाई खतम की फिर वहीँ नौकरी भी करने लगे। आज के समय मे कहे तो वो लोग “लिव-इन” मैं रह रहे थे । एक दुसरे की जरुरतो का पूरा ख्याल रखते एक दुसरे की हर चाहत पूरी करते। उन दोनों के बीच जिस तरह का रहन सहन था उस से लगता था की इतना प्यार तो कोई शादीशुदा जोडे के बीच भी नहीं होगा जितना प्यार इन दोनों के बीच था। वो एक प्यार भरे ’कपल’ की तरह जी रहे थे । मुझ से उन लोगो की बात होती रही इस से मुझ पता चलता रहा की वो लोग बहोत खुश थे।पर जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे नेहा के घरवालो का शादी करने का दबाव बढ़ता गया। नेहा के घर वालो को राहुल के साथ रहने की भी खबर लग चुकी थी इस वजह से वो और भी दबाव बना रहे थे।
एक दिन अचानक नेहा का फ़ोन आया की उसकी शादी तय हो गयी है, और मुझे जाना है उसकी शादी मे। मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैंने उसे बधाईया दी,मेरी बधाइया ख़तम होते ही वो जोर जोर से रो पड़ी और बताया की उसकी शादी राहूल से नहीं किसी और से हो रही है जिसे वो जानती भी नहीं और आज तक मिली भी नहीं। मैंने उस से शादी के लिए हाँ क्यूँ कहा ऐसा प्रश्न किया तो उसने बताया की उसकी माँ ने आत्महत्या करने का प्रयास किया था और नेहा को कहा की अगर वो उनके बताये लड़के से शादी नहीं करती तो वो और नेहा के पिता दोनों खुद्कुसी कर लेंगे। लिहाजा नेहा को शादी के लिए मजबूरन हाँ कहना पड़ा । फिर मैंने राहूल को फ़ोन लगया उस से बात हुई वो बिचारा भी बहोत रोया उसने कहा की ना चाहते हुए भी हमने ये फैसला लिया है। क्या करे समाज के नीति नियम और माँ बाप के आगे हम दोनों मजबूर है। कुछ दिनों मैं नेहा की शादी हो गई और उसके कुछ दिनों बाद राहूल ने भी शादी कर ली।बाद मैं राहूल ने बताया की उसे खुद नेहा ने ही ऐसा करने को कहा था। पर जो रिश्ता जबर-जस्ती जोडा गया हो, जिस रिश्ते की बुनियाद ही धमकी और डर पर रखी गई हो वो कहा ज्यादा दिन तक चल पाती?
नेहा और राहूल की शादीशुदा जिन्दगी मे भी लडाई झगडो की शुरुआत हो गई ।राहूल अपनी पत्नी मे हमेशा नेहा को ढुढंता रहा और नेहा अपने पति मे राहूल को। दिन-ब-दिन परिस्थितियां और भी बिगडने लगी मैंने नेहा और राहूल को समझाने कि बहोत कोशिश की पर कुछ सुधार नहीं आया।फिर कुछ दिनो तक मेरा उन से संपर्क नही रहा। एक दिन अचानक ही मुझे पता चला की राहूल ने जहर खा कर और नेहा ने पंखे से लटककर अपनी जान दे दी| खबर सुनते हि मै सन्न हो गया,हाथ पांव मे मानो खुन जम सा गया, आंखो के सामने दोनो के वोही मुसकुराते चहरे घुमने लगे। मैं दोनो के साथ बिताये लम्हो को याद कर खुब रोया। कुछ दिनो बाद उन दोनों के माँ बाप से भी मिला। मैं उनसे कुछ कह तो नहीं पाया किन्तु अंदर से एक आह उठी की “हो गई न शान्ति। तुम क्या आत्महत्या करते थे कर दी ना अपने लड्को कि हत्या। अब क्यूँ रो रहे हो तब मान गए होते तो ये दिन न देखना पड्ता। अरे आपको मंजुर नहीं था तो रहने देते उनको उनकी लिव-इन की दुनिया मे कम से कम हसी खुशी जिन्दा तो रहते। क्या जरुरत थी दोनों को मजबूर करने की। मार डाला ना।“
अब आप ही बताईये कि “लव-इन” या “लिव-इन”
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Dilip Ur Trmendas...No words...This Time
ReplyDeleteDilip bhai thank you for sharing this emotional story. So far your question is concerened, I will say don't ask this ? because it should be the decisions of people who are in love and live in. If me or some body else will decide than it may be of same fate in which your story ends. Is not it ?
ReplyDelete-Puru
किसी भी मौत से जिंदगी हमेशा बड़ी होती है |ये शायद राहूल के माता पिता समझ जाते तो ये दिन न देखना पड़ता,और शायद आप को ये सब लिखने पर मजबूर न होना पड़ता | तुम ने उनका नाम बदल कर उनकी गरिमा बरक़रार राखी इस लिए आप को भी धन्यवाद कहूँगी| और उन दोनों प्रेमिओ की आत्मा को शांति मिले ऐसी प्राथना करुँगी| मेरे हिसाब से लिव इन मतलब जिंदगी |
ReplyDeleteAnd ya Dilip Tried Hard to type in hindi so pls forgive my mistake if their any.
ReplyDeletekabhi kise ke zindgi ke sath ase jabar jaste fasla nai karva na chaiye jabar jaste ke relation mai koi khus nahi rehta sabke apne apne life hai to apne tarah se jine de na chaiye.
ReplyDeletemaa bapa a santan mate thodho vadhare tya aapo joyto hato. ke chha k maa bapa potana santan sukha khatar kya pan takalif dura karva mate tatpar hoy chha.
ReplyDeleteaatli emotional story vachya pachhi kai lakhi sakay tem nathi mate altlu j kahis ke....
ReplyDelete"kaik aevu kar khuda ke tane pab thodo jash male ane hu pan badhane kahi saku ke parvardigar chhe." saif palanpuri.
मैंने यहाँ सिर्फ एक सच्चाई रखी है| ये आलेख पढने के बाद मेरे कई सारे दोस्तों ने नाराजगी जताई है| मैं अपने दोस्तों को सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ की मेरी नजर से मौत से जिन्दगी हमेशा बड़ी होती है| जिद कभी बड़ी नहीं होती जीवन के मुकाबले| मेरी उन हर माँ बाप से गुजारिश है कृपया अपनी जिद और बेकार की इज्जत के सामने अपने संतानों की खुशी और जीवन की बलि मत चढ़ाइए| वर्ना आ-जीवन पछतावे के आलावा और कुछ नहीं हाथ आएगा | कोई समाज और सामजिक लोग आप के साथ खड़े नहीं दिखाई देंगे| कृपया अपने बच्चो की भावनाओ को समझिये|मैं ये नहि कहता की बच्चे ही हमेशा सच्चे होते है पर कम से कम उन्हें आपको समझाने का मौका तो दीजिये|या उन्हें आपना नजरिया प्यार से समझाये| और आम सहमती न बने तो बिच का रास्ता निकालिए| और मेरे आलेख से किसी मेरे किसी भी दोस्त को या उन के माँ बाप को बुरा लगा हो तो क्षमा चाहते है|
ReplyDeleteअपनी राय जाहिर करने वाले सभी दोस्तों का मैं शुक्रगुजार हूँ |
ReplyDeletevery nice story.
ReplyDeletekeep it up...
speechless.....i m now scared of everything...relationship is lost...love,passion, obstinacy, life.....is it love in, live in or living without, live in self with 'control' of society and family, huh......... yes and we all are intellectual living beings, pretend to be loyal with everybody? can be loyal to self? lost total lost...
ReplyDeletedon't write such things where area and societies are sensitive and not human beings.
Thx raag but its reality and you and people like us have to face it,,,,,,,!
ReplyDeletedilip jee
ReplyDeleteyaha article ko achha ya bura khne ki himmat nhi ho rahi kyonki yah aaj bhi bahas ka mudda hai. ye puri kahani 'society for individual or individual for society ' ke bahas me uljhi hui hai.
mai ek couple ko janti hu jo pichle 25 salo se live in relationship me rah rahe hai aur sukhi hai unke bachhe bhi hai. aisa unhone isliye kiya kyoki saptpadi me unhe bharosa nhi tha fir bhi hum jaise log hi to samaj ke hisse hai na . hum hi tai krte hai ye niyam ye kanuun
jara socho kitni badi vidambana hai ,jis insaan ko ladki janti nhi pahchanti nhi whi gaje baje ke saath aata hai mangle sutra pahnata hai aur man mastishk atama ka huqdaar ban jata hai. harsh word prayod karungi aisi shadi me adhikaansh aise shadi ki shuruaat vaidhanik balatkaar se hoti hu. leki wo ghuti hui cheekh kisi mata pita ko sunai nhi deti hongi. lekin iska matlab ye bilkul nhi ki vivah nam ki sanstha hi jhuthi hai . uski apni ahamiyat hai lekin ab hum sabko maan lena hoga ki samay ke saath samaj pariwaar ko bhi badalna hoga varna aisi moutai hoti rahengi.
ashirwaad
gulsarika
great yaar is massage ko to har maa baap ko bhejna chahiye
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