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Friday, February 26, 2010

कविता का संघर्ष..


"एक लड़का हो जाता तो तेरा कुल चल जाता" ये बात शायद शहर के लोगो ने कम सुनी है,लेकिन भारत के गाँव मैं ये बाते आज भी आम है,भले ही सुनीता विलियम्स चाँद पे कदम रख आई है, और दुनिया उनके कदम चुमते और प्रशंसा करते नहीं थक रही, फिर भी कहीं न कही लडको को कुल चलाने वाला कुल दीपक माना जा रह है, भले ही वो डकैती कर रहा है,चोरी कर रहा हो,(भाई कुल का नाम तो ऐसे भी तो रोशन होता है),

आज मैं यहाँ ऐसे कुलदीपक की बात नहीं करने जा रहा मैं यहाँ बात करने वाला हूँ एक ऐसे कुलदीपक की की जो एक वख्त उसी के माँ बाप बुझा देना चाहते थे,.और आज वो ही कुल दीपक उन के घर को उजाला दे रहा है,उनके नाम को देश दुनिया मैं मशहुर कर रहा है,फर्क सिर्फ इतना है की वो लड़का नहीं लड़की है, जिसका नाम माता पिता ने प्यार से कविता रखा है,जिसे आप ने अक्सर दूरदर्शन के धारावाहिक कसक मैं साक्षी के रूप मैं देखा होगा.स्टार प्लस की एक बहोत ही मशहुर धारावाहिक साईं बाबा मैं आप ने तातिया की पत्नी के रूप मैं देखा होगा...इस के आलावा जाने मने कई धारावाहिकों मैं कविता ने आपनी अलग ही छाप छोड़ी है...चलिए देखते है कविता आज जहा पहोची है,वहां तक पहुचने के लिए उन्हों ने कितना संघर्ष किया है..

कविता का जनम राजस्थान के शहर जयपुर से करीबन १५० किलो मीटर दूर बंदी कुई मैं हुआ..उसके जनम क पूर्व ही उसके इस धरती पे आने और न आने मैं प्रश्न चिन्ह लग गए थे.कविता की दादी चाहती थी की कविता का जनम न हो क्यूँ की पहले से ही घर मैं और २ लडकियां थी,कविता की माँ भी मजबूर थी वो आपनी सास की बात मान अपना बच्चा गिराने हॉस्पिटल पहोच गई,फिर जैसे फिल्मो मैं होता है वैसे न जाने कहाँ से कविता की माँ को हुआ की नहीं मुजे इस बच्चे को जन्म देना ही है और वो हॉस्पिटल से वापस आ गई.(कविता की कहानी भी जैसे वो धारावाहिकों मैं मोड़ लेती है वैसे ही मोड़ ले रही है. कविता जन्म से पहले ही मरने जा रही थी लेकिन एक चमत्कार ने ही उसे बचा लिया.)
बस यहीं से कविता का सफ़र सुरु होता है.कविता के बाद उसके और दो भाई हुए,लेकिन कविता उन सब से अलग और सब से अनोखी थी,

कविता का जनम भले ही एक छोटे से गाँव मैं हुआ था लेकिन उसकी परवरिश और पढाई लिखाई.भारत के आर्थिक राजधानी मुंबई मैं हुई है, कविता ने microbiology and बायो केमिस्ट्री से डबल मास्टर किया है,(नाम पढने मैं जितना मुश्किल है,उतनी ही उसकी पढाई भी होगी..) कविता का संघर्ष पढाई के साथ नहीं ख़तम होता वो जब पढ़ रही थी तब भी उसकी महगी किताबो को लेकर अक्सर उसे ताने सुनने पड़ते थे,लिहाजा उसने किसी पर बोज नहीं बन ने का फैसला किया और अपनी पढाई का खर्च खुद उठाया. दिन को पढाई और रात को कॉल सेंटर मैं जॉब.(क्या कोई कुल दीपक यानि की लड़का ऐसा करता.?)
कविता का संघर्ष यही ख़तम नहीं होता...उसे अपनी परीक्षा देने के बाद एक और परीक्षा देनी पड़ी. बी.एस.सी. के अंतिम साल परीक्षा मैं सफल होने बावजूद उसका परिणाम फ़ैल आया..कविता को यकीं था की वो परीक्षा में पास है लिहाजा उसने अपनी सच्चाई साबित करने की ठानी,परीक्षा बोर्ड के खिलाफ एक साल तक उसने लड़ाई लड़ी,आखिर कार कविता ने विजय हासिल की और उसका परिणाम पास निकला..!
कविता के संघर्ष गाथा यहीं ख़तम नहीं होती,उसने बचपन से ही कुछ अलग करने की ठानी थी लिहाजा सायंस की विद्यार्थिनी होने के बावजूद एक्टिंग को अपना कैरियर बनाने की गांठ बाँध ली.पढाई ख़तम करने के एक साल तक संघर्ष करने के बाद पहला ब्रेक स्टार प्लस की साईं बाबा सीरियल में मिला.तब से कविता ने पीछे मुड के नहीं देखा एक बाद एक सफलताएँ हासिल की.

दिनरात संघर्षो की बिच घिरी कविता ने हर संघर्ष को हँसते हुए लिया.और हर मुश्किल को पार कर अपनी मंजिल पाई.कविता आपने संगर्ष को कुछ इस तरह बयाँ करती है."मैं हमेशा से इश्वर मैं आशथा रखती हूँ,मैं खुद एक धार्मिक इन्सान भी हूँ.मेरे साथ जो भी हुआ,या हो रहा है वो सब अच्छा ही है,हर संघर्ष से मैं ने कुछ न कुछ तो सिखा ही है,और आगे भी सीखूंगी..इन संघर्षो की वजह से मैं अपने आप को एक विशेष इंसान महसूस करती हूँ."

कविता आज चामुंडा फिलिम के साथ कम कर रही है,इसके इलावा स्टार प्लस की शकुन्तला, एन.डी.टी.वी. की ज्योति,सोनी टी.वी.की सी.आई.डी. और कलर्स टी.वी.की बालिका वधु,और स्वामिनारायण जैसे धारावाहिकों मैं कम कर चुकी है.

सदियों से ये परंपरा चली आ रही है की हम देवी ओ को तो पूजते है लेकिन वो ही देवी सामान लड़की जब अपने ही घर मैं माँ,बहन या पत्नी के रूप मैं आती है तो उनसे बदसलूकी का एक भी मौका नहीं छोड़ते .(सब की बात नहीं है..कई लोग ऐसा नहीं करते फिर भी ज्यादातर लोग मेरी बात से सहमत होंगे)..
आज कविता के रिश्ते दार और घर वाले कविता पे गर्व करते है,(ये वो ही लोग है जो एक दिन कविता के जनम पे ही एक सवालिया निशान लगा दिया था)..

कविता आज मशहुर है इस लिए उनकी कहानी मैं उनकी जुबानी सुनपाया(मशहुर होने के बाद बहोत कम लोग सच्चाई भी बताते है.) बाकि और ऐसी न जान कितनी मासूम लडकिया जनम से पहले ही भगवान को प्यारी हो जाती है.(सिर्फ कुलदीपक पाने की आशा मैं)शायद वो जनम लेती तो मैं या मेरे जैसा कोई और उस लड़की की महानता क गुणगान गाते नहीं थकता.
मेरी ये आर्टिकल पढने वाले सभी से गुजारिश है.की कुलदीपक पाने की आशा मैं लडकियों को इस पुर्थ्वी पर जनम लेने का अधिकार न छीने.न जाने उन मेंसे कौन सुनीता विलियम या कविता शर्मा बनजाये..और आप के कुल को आप के कुलदीपक से ज्यादा उजागर करे..!!

6 comments:

  1. congrts kavita..and congrets dilip for writng wondrfull artical about kavita.sach main aaj kal ke log ko bhrun hatya ke bare main jagrut karna bahot jaruri hai..aur dilip hates of to u..itni achi tarh samjane ke liye...again congrets

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  2. main ek ladki hun lekin aap ka artical padhne ke baad mere ankho se aanshu nikal aaye ki koi ladki itna sangharsh bhi kar sahkti hai..aur safal bhi ho sakti hai..nice of u dilip

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  3. Really great and inspiring story :-)

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  4. Dilip Aisi stroy likha karo aur aapne frnds ko bhi bato k wo bhi aisa kuch likhe taki bhrun hatay kuch to kam ho...glamour main jo dikhta hai uske piche sab jugad nahi hota koi na koi to sanghars to karta hi hai...jiase kavita kar rahi hai...

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  5. अब तो कविता पर कविता लिखने वाले कई कवि आ जायगे ,,
    मुझ से बेहतर पढ़ने वाले ,,,
    तुम से बेहतर लिखने वाले ,,,,.
    मगरूर जमाना भी तुम्हे ही याद करेगा

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  6. Dilip u rock..u proved it ur Great..media main glamaor to sabhi likhte hai lekin glamour k piche koi aisa sangh nahi dunta..sirf aap ka fashion style kya hai.aap ko kya acha lagta hai aise rutine quiton aur story hoti hai...but u put onther side..and i knw u have to go long way..aur aap ki shurat bahot hi behtrein hai ise banye rakhne..aur kya linku sorry 4 late coment...

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