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Thursday, February 18, 2010


विषय : शंकर सिंह वाघेला और सुरेश मेहता का राजकिय संग्राम

"प्रलय और निर्माण दोनों शिक्षक की गोद मैं खेलतें है"..चाणक्य की ये बात आज गुजरात के दो प्रखर राजनीतिज्ञों को याद आ रही है या याद करना उनकी मज़बूरी बनगई है..वो शिक्षको के बल बूते अपनी राजकरन की नैया पार लगाने के सपने सजोय रहे है .. ये दोनों गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री रह चके है ,लेकिन दोनों के व्यव्हार और आचरण एकदूसरे से एक दम विभिन् है..एक हर कदम और चाल चलने से पहले दस बार सोचता है तो दूसरा बिना सोचे समजे ही युद्घ के मैदान मैं कूद पड़ता है.लेकिन समय की मज़बूरी कह ले या अस्तित्व की लडाई आज ये दोनों एक दुसरे के साथ उठ खड़े हुए है.एक को अपनी राजनीती चलानी अहि तो दुसरे को अपना अस्तित्व टिकाये रकहना है..इन मैं एक है सुरेश मेहता और दुसरे शंकर सिंह वाघेला "बापू".

सुरेश मेहता का भी एक जमाना था,कच्छ उनका गढ़ मन जाता था. या यूँ कह ले की कच्छ की राजनीती उन्ही के इर्द गिर्द घुमती थी..किन्तु २००२ के गोधरा कांड के बाद या नरेन्द्रमोदी के सुर्वन काल के सूर्योदय के वक्त उन्हों ने सेकुलारिसम का राग आलाप..और उनके सारे सुरताल बिगड़ गये या बिगड़ने की सुरुआत हुई..इसी कारण खुद उन्ही के कुछ साथी दारो ने या कट्टर भाजपा समर्थक कहे जानने वाले लोगो और वोटरों ने उनसे अपना मुख विमुख करलिया.

खुद भाजपा के ही लोगो ने मिलके उनको हराया.. ये उनके जीवन का सबसे बड़ा सदमा था.एक ऐसे व्यक्ति की हार थी जो केशुभाई पटेल के वक्त नंबर २ बना हुआ था.आज उसका अस्तित्व गुजरात के राज कारन मैं दूर दूर तक नहीं दिकाही दे रहा.शायद इसी लिए अपने वजूद को कायम रखने के लिए एक समय उनके कट्टर विरोधी कहे जाने वाले शंकर सिंह वघेला के साथ उन्हों ने अपना हाथ मिले है..कहते है की गुजरात के भविष्य के लिए हाथ मिलाया है.(किन्तु यहाँ प्रश्न ये है की वो गुजरात के भविष्य के लिए उठ कहदे हुए है या खुद के .??)

अब बात शंकर सिंह वघेला यानी बापू की
शंकर सिंह वघेला को हाल ही मैं हुए लोक सभा चुनाव मैं हर का सामना करना पडा या हराया गया. उनकी हर के पीछे गुजरात के ही एक बड़े भाजपा नेता और कांग्रेस के एक बहुत ही कदावर कहे जाने वाले नेता का हाथ मन जा रहा है.. बात जो भी हो वो हारे ये सच है.. और आज कल वो फ्री हो गए तो उन्हें गुजरातवासी ओ की याद आई है.. या याद करना पद रहा है.. और कोई कम भी तो नहीं बचा उनके पास..वो गुजरात के मुख्य मंत्री रह चुके है.. गुजरात कांग्रेस के प्रमुख और फिर कबिनेट प्रधान के पदों को अपना बना चुके है.. लेकिन आज एक बार फिर उनका पुराना राजनैतिक दुशमन उन पे भारी हो गया है. और वो गुजरात मैं अपने शाशन के शानदार ८ सालो की जयंती मन रहा है. .. ये बात शंकर सिंह बापू को खूब खल रही है लिहाजा उन्हो ने शिक्षको की समस्या को लेकर एक जनांदोलन छेडा हुआ है..वे शिक्षको की नोक से वे मोदी पर निशाना साध रहे है.जब की कांग्रेस पक्ष ही उनके साथ खडा दिखाई नहीं दे रहा है.. वे जब से कांग्रेस मैं आये है तब से मूल कांग्रेसी कहे जाने वाले लोगो ने उन्हें नहीं स्वीकारा..अभी भी ये लोग उन्हें भाजपा कुल का मन रहे है जो कभी भी विस्वासघात कर शकता है..शायद इसी लिए उन्हों ने भी मोदी के खिलाफ लदे जनांदोलन मैं कांग्रेस का साथ लेने की बजाय सुरेश मेहता का साथ लेना उचित समजा

मोदी आज गुजरात मैं सर्वे सर्व बन गए है ये बात शायद उनको राज़ नहीं आ रही, आये भी कैसे उनका दुसमन गुजरात मैं फल फुल रहा है और आज वो वक्त आया है की उनको अपनी राजनीती खात्म्होती दिख रही है.. बात जो भी हो लेकिन एक स्वस्थ विपक्ष अछे लोकशाही की मांग रही है केंद्र मैं भले ही कांग्रेस मजबूत और भाजपा मजबूर najar आ रही है लेकिन वो ही स्थिति आज गुजरात मैं कांग्रेस की है कांग्रेस मजबूर और मोदी मजबूत नजर आ रहे है ऐसे समय मैं शंकर सिंह वघेला और सुरेश मेहता का उठ खडा होना शायद गुजरात की लोकशाही के लिए अच्छा हो.. देखना यह होगी की ये दोनों पाने प्रयास मैं कितने सफल हो पते हैं.

फिल हाल तो शंकर सिंह वाघेला और सुरेश मेहता का रेडियो एक ही स्टेशन पे एक ही धुन बजा रहा है.. अगर उनकी धुन लोकप्रिय हुई तो गुजरात के मुख्यमंत्री की रातो की नींद अवश्य हराम हो जायेगी...गुजरात वासी तो फ़िलहाल गुजरात मैं अभी गरम हो रहे राजकीय माहोल का मजा लेना चाह रहे है.. उनको भी देखना है की गुजरात मैं शंकर सिंह की बापू गिरी चलती है की मोदी जी की मोदी गिरी....

3 comments:

  1. are jordar...........superb

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  2. kya bat he bahot hi achha he,apne vishay ka abhyash karke bahot hi badiya likha he....really nice...nd go ahead...

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