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Wednesday, June 15, 2011

दिल के अरमान निकले.!!



कभी होती थी हँसी भी मेरे फोटो पर,
आज भीड़ में भी मुझे दर्द-ऐ-दिल हुआ करता है.
मेरे जीने की आरजू करते थे कभी, मेरे दुश्मन भी,
आज मेरा हमदर्द ही मेरे मरने की दुआ करता है.

समझता था ख़ुद को खुशनसीब जिसे मेरे दिल में पनाह मिलती थी,
आज अश्क भी मेरी आंखों में ख़ुद को बेपनाह समझता है.
खूबसूरत होता था हर वो नगमा जो मैं कलम से लिखता था,
आज लहू से लिखा "प्यार" भी सब को अल्फाज़ नजर आता है.

कभी जीता था मेरा कातिल भी मेरे जीने की उम्मीद में,
आज मेरा दिल भी मेरे मरने की दुआ करता है.
क्या होती है बेवफाई ये सिर्फ किताबों में पढ़ा करता था ,
आज हर लम्हा मेरी मोहब्बत के लिए तड़पता है.

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