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Sunday, March 14, 2010

!!..ऐ मेरे दिल तु कहां जा रहा.!!


बचपन से लेकर आज तक एक प्र्श्न मेरा पिछा नही छोड रहा,आखिर मे हम लोग क्या पाना चाह्ते है.?
हमारी मन्जिल क्या है.? हमे जीवन मैं क्या बनना है?
हम लोग बेवजह एक अनजानी चीज के पिछे क्यों दौड लगाये हुए है?
और उस अनजानी चीज को पाने के लिये हम न जाने कितने सच और न जाने कितने रिश्तो की बली चढा देते है.?
मुझे हमेशा से यहि बात सताती रही की आखिर ये सब किस लिये और क्युं? एक कब्रस्तान के दिवार पर लिखी चन्द पन्क्ति ओ ने मेरे सारे प्र्श्नो का जवाब दे दिया और मेरी आखें खोल दी। आप भी गौर फ़रमाए गा “मंजिल मेरी यहि थी,बस जिन्दगी गुजार दी यहां तक आते आते.”

क्या आप को नही लग रहा की इन्ही चन्द पन्क्तिओ मे जीवन की सारी सच्चाई बयान हो गई है. इन पन्क्तिओ को पढने के बाद हमेशा से मेरा दिल मुझ से एक सवाल कर रहा है.?मेरा दिल बार-बार मुझ से पुछ रहा है की ऐ मेरे दिल तु कहां जा रहा है?तेरी मंजिल क्या है.?एक बार तो जरा नजर उठा के देख सामने “कब्र” नाम की मेह्बुबा बाहें फ़ैलाये तेरा इन्तजार कर रही है। ना तु किसी जश्न मै सामिल है और ना ही कोई तेहवार का लत्फ़ उठा पा रहा है। ईद हो य़ा होली सब कुछ कलेंडर मे ही मना रहा है। ये सब तो ठिक था पर हद तो तुने वहां कर दी की जब कीसी के प्यार से भरा शादी का न्योता तुझे मिलता है और तु उसके बच्चे होने के वक्त भी नहीं जा पा रहा है? दिल मेरा हमेशा मुझ से सवाल करता है की ऐ मेरे दोस्त तु कहां जा रहा है,ऐ मेरे दिल तु क्या चहता है?

लाखो की तन्खवा पा रहा है पर खुद के लिये फुर्सद के चंद लम्हे नही नीकाल पा रहा है.? प्रेमिका से हंस के दो मिनीट से ज्यादा बतिया नही पाता और दो मिनीट से ज्यादा फोन चले तो खुद काट देता है,लेकिन बॉस का फोन तु कहां काट पा रहा है.? तेरे दोस्तों-रिश्तेदारोंकी लिस्ट तो काफी लम्बी है पर तु कीसी के घर कहां जा पा रहा है? अब तो घर की सारी खुशियां और उत्सव ख्वाबों मे ही मना रहा है? दिल मेरा बार बार मुझ से यहि पुछ रहा है की ऐ मेरे दोस्त तु कहां जा रहा है? ऐ मेरे दिल तु क्या चाहता है? किसी को शायद ये पता नही की ये राह किस ओर जा रही है,कहाँ जा के रुकेगी ? थके हुए है हर राही और लोग, छुट्कार हर कोई चाह रहा है।लेकिन फ़िर भी ये दुनिया का बोझ उठाये चले जा रहा है? किसी को सामने धन का अंबार दिख रहा है,तो कोई सोने की चमक और हीरो की दमक के पिछे भाग रहा है,किसी को मिलियोनेर तो किसी को बिलियोनेर बनना है,पर घर मे बुढे मा बाप कौन शी रोटी खा रहे है मेरे दोस्त तु ये कहां पत्ता लगा पा रहा है?ईसी अनजानी दौड़ में वृधाश्र्मो की संख्या दिनों दिन बढ़ा रहा है|मेरा दिल बार बार मुझ से पुछ रहा है की ऐ मेरे दोस्त तु कहां जा रहा है। बहन की राखी नेट पे और नोटॊ के बंड्ल जेब मे रख कर ना जाने तु कौन से रिश्ते कमा रहा है,? ऐ मेरे दोस्त तु कहां जा रहा है.? किसी की एक छोटी सी गल्ती पे तु जोर-जोर से चिल्ला रहा है,पर नाम कमाने के चक्कर मे तु ना जाने अपनी कितनी गल्तियां छुपा रहा है?मां-बाप को चढे बुखार से तुझे कहां मतलब है,तुझे तो सनसेक्स का बुखार खाये जा रहा है।

आप ही बताईए मेरे दोस्तो क्या जिना इसी का नाम है.? दिल मेरा बार बार मुझ से यहि पुछ रहा है की ऐ मेरे दोस्त तु कहां जा रहा है?ऐ मेरे दिल तु क्या चाहता है? जिंदगी की आखरी मंजिल तो कब्र ही है, तो फ़िर तु उसे पाने के चक्कर मे इतने पाप क्युं कमा रहा है? पैसो के चक्कर मे जिंदगी के अनमोल रिश्ते क्युं गवां रहा है?

"बाबा दिलीपानंद"

5 comments:

  1. Liked the lines mentioned on the graveyard's gate. The life beyond is a new journey only those who reach there can describe but this will never happen. The mystery remains. Yes we reach the threshold of etenity after wasting our life entire life on worthless pursuits that look like the world to us just before attaining them.

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  2. hey dilip how can u write like this..this is amazing fact...that all we realaise..but not put it on paper..u made me cry...yaar..and ya we all r going in vain..without any direction...just love it my boy,...

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  3. i always criticise you in front of others.. maine tumhare blog ke baare main bhi dusro se suna to socha sacho yahn bhi tumhari galtiyan nilkte hai anonymous se comment likh ke tumhari vaat lagate hai..lekin tumhara artical padha u just stunned me..amezing baat kahi..jindgi ki aakhri manjil to kabr hi hai..fir kyun ye bekar ka ek dusre ko nicha dikha man gaye dilipanand baba..aap sahi main koi baba banne ke layak ho.....aur rahi baat mere naam ki to ek din tum se mil kar mafi mangni hai..aur usi din namm bhi bataunga/gi/
    Dilip tuly you r great writer...

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  4. u r right dilip. koik bhage chhe paisa paachal to koik pratishtha pachhal. koi prem na chakkaro ma fasayelu chhe to koi ne nokrio ma promotion ni jarur chhe. bas koi ne jarur nathi to e chhe maanasai ane ethics jeva shabdo ni...... jo ke ek common man pan shu kare???????????? koik ne koi karanosar maanas pisai rahyo chhe ane jo aava shabdo ne valgi rahevu hoy to pan tena mate ashakya chhe. aadhunik maanas ni dot matra ek j disha ma chhe ane te chhe vitamin M..............

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  5. Thank you dhara for your pricious coment.but their is always 2 ways to live one is good one is bad..its upon you to chose which way you want to go.

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