Saturday, August 7, 2010
बोये पेड बबुल का 'आम' कहा से होय.??
आप कोई भी समय कोई भी चैनल लगा लीजिये कहीं न कही आप को लुट,बलात्कार, खून, चैन स्नेचिंग की घटना पे डायन की तरह से जोर जोर से चिलाते या मिमियाते न्यूज़ एंकर दिख ही जायेंगे। कोई भी अख़बार उठा लीजये आप, तो आप को फ्रंट पेज पर लूट बलात्कार से भर हुए कोलम मिल ही जायेंगे। क्या आप ने कभी इस के पीछे क्या और कौन जिमेदार है ये सोचने की कोशिश की है( मैं आधे घंटे का प्रोग्राम भरने की बात नही कर रहा। ) कुछ दिलो दिमाग से सोचने की बात कर रहा हूँ.|
एक ऐसी सोच की जिस से समाज मे और उस तकलीफ मे कुछ सुधार आ सके। आप Mtv लगा लीजये कभी न कभी आप को स्टंट मेनिया का प्रोमो या प्रोग्राम दिख ही जायेगा,जिस मैं नव युवा लड़के लकडिया आप को जान जोखिम मे डाल कर स्टंट करते दिख जायेंगे। और उन जोखिमो का प्रमोसन भी खूब प्रभावी ढंग से किया जाता है। फिर बारी आती है हमारे न्यूज़ चेनलो की हर रोज एक पैकेज बन जाता है, दिल्ही की सड़क पर छाया बाईकर्स का आतंक, फला फला जगह पर हुआ “हिट एन्ड रन केस” ( भैया मैं पूछता हूँ की एक तरफ आप स्टंट मेनिया कर के नौ जवानो को उकसा रहे हो दूसरी तरफ जब वो आप के उकसावे पर पूरी तरह तैयार हो जाते है तब आप उन्ही पर खबर बना देते हो|वाह रे हमारा मीडिया समाज)
सिगरट और तम्बाकू का आविष्कार किस ने किया ? हम ने| फिर उस पर बड़े बड़े चित्र भी हमने ही लगाये की सिगरेट पीना स्वास्थ के लिए हानी कारक है। कैंसर भी हमने पैदा किया और उससे बचने की दवा भी हमने ही बनाई है। मेरा प्रश्न सिर्फ इतना है की जिस गढ्ढे को आप ने खोदा है अगर उस मे आप गिर जाते हो तो फिर इतना शोर-शराबा क्यूँ मचाते हो ??? भाई ये तो वो बात हुई कि चोर को कहिये की चोरी कर और फिर चिलायिए चोर चोर.....!
आज कल हर जगह “सप्लिट्स-विला” और “ट्रुथ लव केस”( MTVऔर VTV के प्रोग्राम है।) की चर्चा है। दूसरी तरफ चर्चा ये भी है की आज कल भारतीय समाज में शादीया जल्दी टूट रही है। लोगो के शादिओतर संबध मे दिनों-दिन बढ़ावा हो रहा है, मैं पूछता हूँ की एक तरफ तो आप “सप्लिट्स-विला” और “ट्रुथ लव केस” मे प्यार मे गद्दारी करना सिखाते हो और जब वो ही चीज समाज पर हावी होने लगती है तब चिलाते हो। ऐसी परिसिथिति का निर्माण ही क्यूँ किया की जो समाज के लिए खतरा बन जाए। ( शायद फिर ये आधे घंटे का शो कर के प्रोग्रामिंग चेनल की टीआरपी नहीं आती ऎड नही मिल्ते। )
हम ही स्टोरी चलाते है की क्रिकेट को ज्यादा अहमियत दी जाती है भारत के अन्य खेलो को नहीं|( अरे प्राइम टाइम मे क्रिकेट पर आधा घंटा, क्रिकेटरो की लाइफ स्टाइल पर घंटो के प्रोग्राम कौन चलता है ? और किसी खले पर कोई स्पेशल प्रोग्राम नहीं बन शकता क्या...!) क्राइम पर सनसनी और न जाने क्या क्या बनाते है हम,आप और हमारे मीडिया के मित्र और फिर चिलाने वालो मे भी हम आप और वो ही है की देश मे क्राइम बढ़ रहा है। हमारे भुतपूर्व राष्ट्रपति कब से कह रहे है की “पोसिटिव पत्रकारिता” करो खेती पर कार्यक्रम बनाओ। उन्ही के शब्दों की दुहाई देते न्यूज़ चनलो से मेरा प्रश्न है की आप ने कब उनकी बात मानी और ऐसे न्यूज़ चलाये.! क्या पोसिटिव पत्रकारिता नहीं हो सकती? ( हो शक्ति है लेकिन टी.आर. पी. जो नहीं आती ऐसे प्रोग्रामस की | पिपलो मीटर जो नहीं लगे होते ऐसे क्षेत्रो मैं|)
बात यही पर आकर नहीं अटकती आज कल एक नया फेशन चला है बन बैठे विवेचको मे, कुछ भी हो कैसे भी गुनाह हो घुमा फिरा कर नौजवानों के सर मढ़ दो, किसी न्यूज़ चैनल पर जा के “बाईट” दे दो काम ख़तम। ( विवेचन का नया तरीका)
आज कल सभी पानी मथ कर दही निकाल रहे है। लेकिन लोगो को पता नहीं चलने देना चाहते की वो पानी मथ रहे है। सब को दिखा भी रहे है और दिलशा भी दे रहे है की धैर्य बनाये रखिये हम लोग दही मथ रहे है इस में से माखन निकलेगा वो आप सब को ही देंगे।
मेरा ये प्रश्न उन सभी लोगो से है की जो हमेशा ये प्रश्न उठाते रहते है की पोलिटिक्स से अच्छे लोग दूर रहते है। वोट नहीं करते बला बला बला...। मेरा प्रश्न उन सब से है की उनको वोटिंग तक खीच लाने के लिए आप ने क्या किया?????
चलिए अब भासण बाजी और लेक्चर बहोत हो गया, मैं भी कुछ नहीं कर पा रहा इन सब के लिए या मैं भी कुछ नहीं करना चाह रहा सो यहीं अपनी भड़ास निकाल दी ( या दुनिया को मैं भी ये दिखने की कोशिश कर रहा हूँ की मैं भी अब विवेचक हो गया हूँ | या मेरी भी गणना अब बौधिको मे होनी चाहिए।)
बाकि क्या है ये संसार एक मोह माया है क्या लेकर आये है और क्या लेकर जायेंगे|( न्यूज़ बुलेटिन लेकर आये थे टी.आर.पी. लेकर जायेंगे|)
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Dilip
ReplyDeleteTumne shuraat kI.Aur jaisa tum hamesha kahte ho.waise hi.. Credit gose to you.. baki sansar main kay lekar aaye the kya lekar jayenge.hahaha
Excellent!! BHAI VA...H,AApne to kai logo ke dard ki baat bakhubi aur bahaduri se kah dali!!!
ReplyDeleteshurat hai tou paisa hai media hai tou sab paap poonaya hai ,but still we shld not see it only frm one side....this is correct that trp matteres ...but its comes out frm public itself....so blaming media is 80 percent correct ...b'coz true facts r shown also....
ReplyDeleteDilip This is good but i feel you shoud write it in discriptive way... i feel it short...!
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