Friday, April 16, 2010
मारे शु.??? (मुझे क्या.??)
मारे शु.??? (मुझे क्या.??)
ये शब्द से मेरे गुजराती मित्र शायद सब से ज्यादा परिचित होंगे।लेकिन जो नहीं जानते उन्हें थोडा समझाता हुं।
मारे शु.?का हिंदी मैं अर्थ होता है मुजे क्या.?
ये शब्द गुजरात में बहोत ही ज्यादा प्रचलित है और जगह भी प्रचलित होगा लेकिन मुझे पता नही।कभी लोग अपनी जवाबदारियो से बचने के लिए तो कभी आपना फायदा निहारने क लिए ये शब्द का इस्तेमाल करते है..लेकिन जब भी मैं ये शब्द सुनता हूँ तो मुजे बहुत अखरता है।
रास्ते मैं किसी का “एक्सिडेन्ट” हो गया है,वो बिचारा दर्द से कहराह रहा है,फ़िर भी घंटो तक अपने सेलफोन पर बतियाने वाले लोग एक सामान्य सा फ़ोन १०८ को नहीं कर शकते.? मारे शु.?? भले वो आदमी मर जाता है.?? उसके परिवार मैं भले ही एक वो ही कमाने वाला है.? मारे शु?अरे भाई कभी इस मारे शु से आगे भी सोच कर देखिये.?जवाब मिलता है.केम मारे शु? शु काम मारे फोन करवो जोइए।(क्यूँ मुजे फ़ोन करना चाहिए) खाली-पिली पुलिस के लफड़े मैं कौन गिरे भाई.?? मेरा उन सभी से सवाल है अगर उस अनजान व्यक्ति की जगर अगर आप का कोई परीजन होता तो क्या आप यही कहते.?उस वक्त तो आप समाज और देश दुनिया को बोलते हो कैसे मतलबी लोग है? पर वो ही चीज जब दुसरो के साथ होती है तो “मारे शु” हो जाती है.?
बात आज कल के सब से हॉट- टोपिक पोलिटीक्स यानि की राजनीती की।सब कहते है की भाई नेता गंदे है।पोलिटिक्स गुंडों का काम है।बस बोलना है लेकिन जब वोट की बात आती है तो फिर वो ही मारे शु.?? गर्मी बहोत है वोट डालने कौन जाये ? सब लोग गुंडे है। इन्हे वोट कौन दे.? अरे कभी खुद भी इस मैदान मैं उतर कर देखो। अगर आप के घर मैं कचरा पड़ा हुआ है और आप की कामवाली बाई नहीं आती है तो आप को ही कचरा साफ करना होगा वर्ना आप का ही घर आप को बदबू देगा.उस वख्त आप नहीं कह सकेंगे मारेशु.?उसी तरह कभी इस देश को भी अपना घर मान के देखिये। भैया कोई भी चीज हो पहले अपने फर्ज से अदा रहिये फिर अपने हक़ के बारे मैं बात करिए.! अपने आप को बदलने की शुरुआत करिए।देश और दुनिया बाद मैं बदल लेना।शुरुआत तो करिए।
और कई बाते है जैसे की कई दिनों से घर मे पानी नहीं आ रहा है। नेता से लेकर सामान्य कार्यकर तक सब को गरिया देंगे लेकिन उनके खिलाफ फ़रियाद कोई नहीं लिखवाएगा।मैं ही क्यूँ जायुं,सब के घरो मे तो पानी नहीं आता।अरे भाई दुसरो का ख्याल मत करो सिर्फ अपने घर का ख्याल करो और एक बार लीगल कम्प्लेन कर के तो देखो।देश मैं से भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा,लोगो के सामने तरह तरह की दलीले और भासण बाजी हो जाएगी।लेकिन जब खुद का काम कही रुकता है तो भैया जो पैसे चाहिये वो लेलो मेरा काम जल्दी से खतम कर दो। मुजे दुसरो से मतलब नहीं है।भैया मतलब नहीं क्यूँ है?आप के जैसा ही हर कोई सोचता है,और भ्रष्टाचार का राक्षस दिन-ब-दिन बढ़ता है।इस से मुझे क्या.?(मारे शु.?) किसी के झग्डे मे गवाही देने को कहो तो फिर वही मारे शु.?? भले ही उस ने सब कुछ देखा और सुना है.? लेकिन जब उन्के साथ ऐसा होता है तो उनहि का नजरीया और शब्द दोनो बदल जाते है। किसी से दो शब्द प्रेम के कहने से उसका भला हो जाता है फ़िर भी उसके लिये कहेंगे नहीं।मुजे उससे क्या.?? मुजे क्या फायदा मिलेगा.?? अरे भैया कभी बिना फायदा का भी काम कर के देखो.??
बात मेरे कुछ मीडिया वाले दोस्तों की।हर कोई एक दुसरे के चैनल के कंटेंट को बुरा बता कर अपने आप को अलायदा कहते है।लेकिन बात तो वो दुसरो की तरह ही करते है।हाल ही मैं सानिया और आई.पी.एल. पर सारी मीडिया कूद पड़ी थी। लकिन हर चैनल वाले अपने डीसकशन मैं यही चलाते थे की भैया सानिया और आई.पी.एल को इनता महत्त्व देना चाहिये की नहीं?पर भाईसाह्ब आप उन्ही पे चर्चा कर के एक घंटे का प्रोग्राम बना के साबित क्या करना चाहते है?पहले आप का चैनल खुद तो देखिये।सुबह से लेकर शाम तक आप ने भी सानिया को ही चलाया है क्यूँ.?? टी.आर.पी. का जो सवाल है?
आप सब से मैं गुजारिश करता हूँ की आप खुद ये बंध कर के तो देखिये..! हर बार दुसरो को जिमेवार बना के आप क्यूँ आपनी जिमेदारियो से बचना चाहते है? कभी कोई काम बिना फायदे के भी तो कर के देखिये।बड़ा शकून मिले गा.!!
एक मशहूर शायर ने कहा है..वो ही मैं भी दोहरहा रहा हूँ..
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही,मेरा मकसद है की ये सूरत बदलनी चाहिए,घनघोर अंधेरों ने घेरा,हर एक तन हर एक मन,ये अँधेरा चीर एक शमां तो जलनी चाहिए,
ये बात सब पर लागु नहीं होती ये बाबा दिलीपानंद के अंगत विचार है।आप को इस से असहमत होने का पूरा हक़ है।अगर नहीं भी है,तो मारे शु.???
कर के देखो.??
Tuesday, April 13, 2010
क्षमा याचना..!!
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